Yamak Alankar Ke Udaharan :- हिंदी व्याकरण के अंतर्गत आप सभी लोगों ने अलंकार के बारे में तो अवश्य ही पढ़ा होगा, ना केवल अलंकार बल्कि हिंदी व्याकरण में कई विषयों को पढ़ा होगा।
जैसे कि संधि, रस, अलंकार इत्यादि, काव्य को अलंकृत करने वाले शब्दों को अलंकार कहते हैं, तो ऐसे में आज के इस लेख के माध्यम से हम आपको अलंकार के एक भेद यमक अलंकार का उदाहरण एवं यमक अलंकार से जुड़ी अन्य जानकारियों के विषय में चर्चा करने वाले हैं।
प्रत्येक अलंकार की अपनी अलग-अलग परिभाषा एवं अलग-अलग अर्थ होते हैं, तो इस लेख के माध्यम से हम आपको यमक अलंकार के विषय में बताने वाले हैं और साथ ही साथ Yamak Alankar Ke Udaharan भी बताएंगे और यदि आप यमक अलंकार के विषय में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो हमारे द्वारा लिखे गए इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें।
यमक अलंकार का उदाहरण- ( Yamak Alankar Ke Udaharan )
हम किसी चीज के बारे में अच्छी तरीके से तभी समझ पाते हैं जब हम उसके base के बारे में जानते हैं, अर्थात हम किसी चीज के बारे में तभी अच्छी तरीके से समझ पाएंगे जब हमें उसके बारे में पता होगा, अतः यमक अलंकार के उदाहरण को बताने से पूर्व हम आपको यमक अलंकार के बारे में बता देना चाहते हैं।
यमक अलंकार क्या है ?
जब किसी काव्य में एक शब्द एक या एक से अधिक बार आए तथा दोबारा आए हुए शब्द का अर्थ अलग-अलग हो वहां पर यमक अलंकार होता है। यदि हम दूसरे शब्दों में कहें तो किसी काव्य में जब कोई शब्द एक से अधिक बार आता है और उसका अर्थ अलग-अलग होता है, तब वहां पर यमक अलंकार होता है।
यमक अलंकार का प्रसिद्ध उदाहरण :-
कनक कनक ते सौगुनी मादकता अधिकाय।
या खाए बौरात नर या पाए बौराय।।
स्पष्टीकरण:- ऊपर बताए गए उदाहरण में कनक शब्द दो बार आया है परंतु दोनों बारिश का अर्थ अलग-अलग है यहां पर एक कनक का अर्थ सोना से है अर्थात स्वर्ण तथा दूसरे कनक का अर्थ धतूरे से है अर्थात यहां पर यमक अलंकार है।
यमक अलंकार के प्रकार
ऊपर हमने Yamak Alankar Ke Udaharan के बारे में जाना, अब हम यमक अलंकार के प्रकार के बारे में जानते है। यमक अलंकार दो प्रकार होता है, जिनके बारे में हमने बताया है, जिसे पढ़कर आप यमक अलंकार के प्रकारों के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर पाएंगे और वे निम्नलिखित हैं :-
- अभंग पद यमक अलंकार
- सभंग पद यमक अलंकार
1. अभंग पद यमक अलंकार
जब काव्य या किसी वाक्य में एक एक ही शब्द को बिना तोड़े मरोड़े अर्थात बिना कोई नया रूप दिया ही अनेक बार प्रयोग किया जाता है तथा प्रत्येक बार प्रयोग किए गए शब्द का अर्थ अलग-अलग हो तब वहां पर अभंग पद यमक अलंकार होता है।
उदाहरण: – “जगती जगती की भूख प्यास”
स्पष्टीकरण:- जगती शब्द यहां पर दो बार आया है, इस शब्द का प्रयोग दो बार हुआ है वह भी एक ही रूप में तथा इसके अलग-अलग अर्थ हैं, यहां पर एक जगती का अर्थ जागती है तथा दूसरे जगती का अर्थ जगत अर्थात संसार है।
2. सभंग पद यमक अलंकार
इस अलंकार में यहां पर 1 शब्द की आवृत्ति एक से अधिक बार होती है परंतु उसकी पुनरावृत्ति तोड़ मरोड़ के अर्थात नए रूप में की जाती है तो वहां पर सभंग पद यमक अलंकार होता है।
उदाहरण:- “ पास ही रे हीरे की खान , खोजता कहां और नादान ”
स्पष्टीकरण:- यहां पर पहले ही रे शब्द का प्रयोग हुआ है परंतु दूसरी बार इस का प्रयोग नए रूप में अर्थात हीरे के रूप में किया गया है इसलिए यहां पर है।
यमक अलंकार उदाहरण – Yamak Alankar Ke Udaharan
- केकी रव की नुपुर ध्वनि सुन, जगती जगती की मूक प्यास।
ऊपर बताए गए उदाहरण में जगती शब्द एक से अधिक बार आया है तथा इसके एक से अधिक अर्थ है अतः यहां यमक अलंकार है।
- भर गया जी हनीफ़ जी जी कर, थक गए दिल के चाक सी सी कर।
यों जिये जिस तरह उगे सब्ज़, रेग जारों में ओस पी पी कर।।
ऊपर बताए गए उदाहरण में जी, सी और पी एक से अधिक बार आया है और प्रत्येक शब्द के अलग-अलग अर्थ हैं अतः यहां पर यमक अलंकार है।
- ऊँचे घोर मंदर के अंदर रहन वारी।
ऊँचे घोर मंदर के अंदर रहाती है।।
ऊपर बताए गए उदाहरण में मंदर और अंदर शब्द एक से अधिक बार आया है और प्रत्येक स्थान पर इसका अलग-अलग अर्थ है अतः यहां पर यमक अलंकार है।
- बरजीते सर मैन के, ऐसे देखे मैं न हरिनी के नैनान ते हरिनी के ये नैन।
ऊपर दिया गया उदाहरण में हरिनी शब्द एक से अधिक बार आया है और उसके अर्थ अलग-अलग हैं अतः यहां पर यमक अलंकार है।
- तोपर वारौं उर बसी, सुन राधिके सुजान।
तू मोहन के उर बसी वै उरबसी समान।
ऊपर बता के उदाहरण में उरबसी शब्द एक से अधिक बार आया है तथा प्रत्येक शब्द का अर्थ अलग-अलग है अतः यहां पर यमक अलंकार है।
- जिसकी समानता किसी ने कभी पाई नहीं।
पाई के नहीं हैं अब वे ही लाल माई के।
ऊपर बताए गए उदाहरण में पाई शब्द एक से अधिक बार आया है और उनके अर्थ अलग-अलग हैं अच्छा यहां पर यमक अलंकार है।
- माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर।
कर का मनका डारि दै मन का मनका फेर।।
इस उदाहरण में मनका शब्द दो बार आया हुआ है और उनका अर्थ भी अलग अलग है अतः यहां पर यमक अलंकार है।
FAQ’S :-
Q1. यमक अलंकार की पहचान कैसे होती है ?
Ans :- जब किसी काल में एक शब्द एक से अधिक बार आया था, उसका अर्थ अलग-अलग हो तो वहां पर यमक अलंकार होता है।
Q2. यमक अलंकार का एक प्रचलित परिभाषा बताइए ?
Ans :- कनक कनक ते सौगुनी मादकता अधिकाय। या खाए बौरात नर या पाए बौराय।।
Q3. अनुप्रास अलंकार का उदाहरण बताइए ?
Ans :- रघुपति राघव राजा राम। पतित पावन सीताराम।।
Q4. यमक अलंकार की परिभाषा बताइए ?
Ans :- किसी काव्य में जब कोई शब्द एक से अधिक बार आता है और उसका अर्थ अलग-अलग होता है, तब वहां पर यमक अलंकार होता है।
Q5. अलंकार के जनक कौन हैं ?
Ans :- अलंकार के जनक आचार्य भामह हैं।
निष्कर्ष:- हम आप सभी लोगों से उम्मीद करते हैं, कि आपको हमारे द्वारा लिखा गया आज का यह महत्वपूर्ण लेख ( Yamak Alankar Ke Udaharan ) अवश्य ही पसंद आया होगा। आज के इस लेख में हमने आपको यमक अलंकार से संबंधित जानकारियां प्रदान कराई है।
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