December 6, 2024
Rupak Alankar Ke Udaharan

रूपक अलंकार की परिभाषा, उदाहरण – Rupak Alankar Ke Udaharan

Rupak Alankar Ke Udaharan :-  काव्य की सुंदरता को बढ़ाने वाले तत्वों को अलंकार कहते हैं अर्थात वह शब्द जो काव्य को अलंकृत करते हैं, उन्हें अलंकार का आ जाता है।

जैसा कि आप लोगों ने शीर्षक को पढ़ करके ही समझ गए होंगे, कि आज हम किस अलंकार के विषय में चर्चा करने वाले हैं, तो आज के इस लेख में हम शब्दा अलंकार के एक भेद रूपक अलंकार का उदाहरण एवं उससे जुड़ी जानकारियां के विषय में चर्चा करने वाले हैं।

यदि आप Rupak Alankar Ke Udaharan एवं रूपक अलंकार से जुड़ी जानकारियां प्राप्त करना चाहते हैं, तो आप बिल्कुल सही स्थान पर आए हैं, आज के इस लेख में हम रूपक अलंकार के विषय में चर्चा करेंगे और आपको जानकारी प्राप्त कराएंगे, कि रूपक अलंकार क्या होता है ? इसका उदाहरण क्या होता है ? इत्यादि रूपक अलंकार से जुड़ी जानकारियां प्रदान करने वाले हैं और यदि आप इन सभी जानकारियों का प्राप्त करना चाहते हैं, तो हमारे द्वारा लिखे गए इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें।


रूपक अलंकार का उदाहरण – Rupak Alankar Ke Udaharan

रूपक अलंकार के विषय में जानकारी प्रदान करने से पूर्व हम आपको रूपक अलंकार के विषय में बताना चाहते हैं, कि आखिरकार यह क्या होता है, किसी एक विषय के बारे में हम तब ही समझ सकते हैं, जब हम उसके उदाहरण के साथ-साथ उस विषय के बारे में भी थोड़ी बहुत जानकारी प्राप्त हो।


रूपक अलंकार क्या होता है ?

अर्थालंकार कई प्रकार के होते हैं उन्हीं सभी अलंकारों में से एक अलंकार है रूपक अलंकार, रूपक अलंकार का अर्थ होता है, एकता। रूपक अलंकार में पूर्ण साम्य होने के कारण प्रस्तुत मैं प्रस्तुत का आरोप कर अवैध की स्थिति को स्पष्ट किया जाता है, वहां रूपक अलंकार होता है अर्थात जहां उपमेय और उपमान की अत्यधिक समानता को प्रकट करने के लिए उपमेय में उपमान का आरोप हो वहां पर रूपक अलंकार होता है।

उदाहरण:- चरण कमल बंदौ हरिराई।

ऊपर दी गई काव्य पंक्ति में उपमेय ‘चरण’ पर उपमान ‘कमल’ का आरोप दिया गया है, दोनों में अभिन्नता है, परंतु दोनों साथ साथ है, इस अभिन्नता के कारण यहां पर रूपक अलंकार है।


रूपक अलंकार के प्रकार

ऊपर हमने Rupak Alankar Ke Udaharan के बारे में जाना, अब हम रूपक अलंकार के प्रकार के बारे में जानते है। जिस प्रकार अलंकार के भी प्रकार होते हैं, उसी प्रकार रूपक अलंकार के भी प्रकार होते हैं और उन सभी प्रकारों का अलग-अलग अर्थ भी होता है, जिनके बारे में नीचे हमनें जानकारी प्रदान की है :-

  1. सम रूपक अलंकार
  2. अधिक रूपक अलंकार
  3. न्यून रूपक अलंकार

1. सम रूपक अलंकार

सम रूपक अलंकार रूपक अलंकार का वह भेद होता है, जिसमें उपमेय एवं उपमान में समानता प्रकट की जाती है, वहां पर सम रूपक अलंकार होता है।

उदाहरण:- बीती विभावरी जागरी

अम्बर-पनघट में डुबा रही, तारघट उषा – नागरी।

2. अधिक रूपक अलंकार :- अधिक रूपक अलंकार रूपक अलंकार का वह प्रकार होता है, जिसमें उपमान की तुलना में उपमेय के बोध में न्यूनता प्रकट की जाती है, वहां पर अधिक रूपक अलंकार होता है।

3. न्यून रूपक अलंकार :- यह अलंकार रूपक अलंकार का वह प्रकार होता है, जिसमें उपमेय की तुलना में उपमान को न्यून दिखाया जाता है, वहां पर न्यू रूपक अलंकार होता है।

उदाहरण:-जनम सिन्धु विष बन्धु पुनि, दीन मलिन सकलंक

सिय मुख समता पावकिमि चन्द्र बापुरो रंक।।


रूपक अलंकार के अन्य उदाहरण

ऊपर हमने Rupak Alankar Ke Udaharan के बारे में जाना, अब हम रूपक अलंकार के अन्य उदाहरण के बारे में जानते है। नीचे हमने रूपक अलंकार के अन्य उदाहरण के बारे में बताया है, जिन्हें पढ़कर आप रूपक अलंकार को और अच्छी तरीके से समझ पाएंगे।

  • मैया ! मैं तो चन्द्र-खिलौना लैहों।
  • प्रेम-सलिल से द्वेष का सारा मल धुल जाएगा।
  • बंदौं गुरुपद-पदुम परागा
  • बार-बार कर-कंज बढ़ाकर।
  • सुरुचि सुवास सरस अनुरागा।
  • चरण-सरोज पखारन लागा।
  • प्रभात यौवन है वक्ष-सर में
  • चरण-कमल बन्दौं हरिराई।
  • राम कृपा भव-निसा सिरानी।
  • कर जाते हो व्यथा भार लघु
  • पायो जी मैंने नाम-रतन धन पायो।
  • एक राम घनश्याम हित चातक तुलसीदास।
  • कमल भी विकसित हुआ है कैसा।

FAQ’S :- 

Q1. रूपक अलंकार की पहचान क्या है ?

Ans :- उपमेय और उपमान की अत्यधिक समानता को प्रकट करने के लिए उपमेय में उपमान का आरोप हो, 
वहां पर रूपक अलंकार होता है।

Q2. उत्प्रेक्षा अलंकार का उदाहरण दीजिए ?

Ans :- पायी अपूर्व थिरता मूद्रु वायु ने भी, मानो अचंचल विमोहित हो बनी थी।

Q3. रूपक अलंकार के कितने प्रकार होते हैं ?

Ans :- रूपक अलंकार के तीन प्रकार होते हैं।

Q4. रूपक अलंकार किस अलंकार का भेद है ?

Ans :- रूपक अलंकार अर्थालंकार का भेद है।

Q5. यमक अलंकार का उदाहरण दीजिए।

Ans :- ऊँचे घोर मंदर के अंदर रहन वारी। ऊँचे घोर मंदर के अंदर रहाती है।।

निष्कर्ष:- हम आप सभी लोगों से उम्मीद करते हैं, कि आपको हमारे द्वारा लिखा गया आज का यह महत्वपूर्ण लेख ( रूपक अलंकार का उदाहरण ) अवश्य ही पसंद आया होगा।

आज के इस लेख में हमने आपको रूपक अलंकार से संबंधित जानकारियां प्रदान कराई है। यदि आपका हमारे द्वारा लिखा गया यह महत्वपूर्ण लेख पसंद आया हो, तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना बिलकुल भी ना भूले और यदि आपके मन में इस लेख को लेकर किसी भी प्रकार का कोई सवाल या सुझाव है, तो कमेंट बॉक्स में हमें अवश्य बताएं।


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