Godan Kiski Rachna Hai :- गोदान एक दोहरा कंठनात्मक उपन्यास है, जिससे हमें कई प्रकार की शिक्षाएं मिलती है इस उपन्यास में कर्ज़, लालच, लोभ, शोषण इत्यादि से जुड़ी जानकारी को बखूबी बताया है।
गोदान उपन्यास को भारतीय भाषाओं में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व की भाषाओं में महत्वपूर्ण रचना के रूप में देखा जाता है। लेकिन आज भी बहुत से लोग ऐसे हैं, जो नहीं जानते कि Godan Kiski Rachna Hai ?
इसलिए आज हम इस लेख में हम ये जानेंगे की Godan Kiski Rachna Hai साथ ही हम इस रचना से जुड़ी अन्य जानकारियों को भी प्राप्त करेंगे। तो आइए लेख को शुरू करते हैं।
गोदान किसकी रचना है ? – Godan Kiski Rachna Hai
गोदान उपन्यास की रचना मुंशी प्रेमचंद ने की थी। गोदान जोकि एक काफी लोकप्रिय उपन्यास है, जिसे कि मुंशी प्रेमचंद जी ने 1936 में प्रकाशित किया था। और मुंशी प्रेम चंद जी का असली नाम धनपतराय हैं।
गोदान में मुंशी प्रेमचंद जी ने मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्र की समस्याएं या समाज वर्ग की समस्याएं को लेकर जानकारी दी गई थीं। जिस भी प्रकार की समस्याओं का सामना एक ग्रामीण में रहने वाला व्यक्ति या किसी समाज वर्ग का व्यक्ति करता है, उन सभी की व्याख्या गोदान उपन्यास में की गई है। इसमें मुख्यता भारत के क्षेत्र के बारे में बताया गया है।
गोदान किस विद्या की रचना है ?
मुंशी प्रेमचंद जी के द्वारा रचित गोदान जो कि एक उपन्यास विधा की रचना है। इसे मुंशी प्रेमचंद जी का सबसे अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण उपन्यास माना जाता है।
गोदान उपन्यास के पात्रों के नाम क्या हैं ?
गोदान में मुख्य पात्र 9 हैं, तथा गोण पात्र 18 हैं, जिनके नामों को नीचे बताया गया है, इन्हें जानकर आप जान जाएंगे कि गोदान उपन्यास के पात्रों के नाम क्या हैं।
गोदान के प्रमुख पात्रों के नाम कुछ इस प्रकार है :-
- होरी
- धनिया
- गोबर
- राय साहब अमरपाल सिंह
- गोविंदी
- पंडित दातादिन
- झुनिया
- प्रोफ़ेसर मेहता
- मालती
गोदान के गौण पात्रों के नाम कुछ इस प्रकार है :-
- भोला
- रूपा
- शोभा
- हीरा
- मिस्टर खन्ना
- श्याम बिहारी तंखा
- रूपा
- सोना
- चुहिया
- नोहरी
- मंगरु
- झिगरी सिंह
- दुलारी सहुआइन
- सरोज
- पटेश्वरी
- गण्डासिंह
- मिर्जा खुर्शद
- पंडित नोखेराग
गोदान की कहानी क्या है ?
गोदान उपन्यास के अंतर्गत मुख्य रूप से चलने वाली दो कहानियां है, एक तो गांव की कथा तथा दूसरी कथा नगरी की गोदान कहानी के अंतर्गत होरी के जीवन को दर्शाया जाता है, कि किस तरह होरी को जीवन कष्टों से भरा पड़ा है इतनी मेहनत करने के बाद भी उसके दुख दर्द दूर नहीं होते हैं।
और यह केवल और केवल इसलिए की ताकि होरी की मर्यादा सुरक्षित रह सके, लेकिन कोशिश करने के बाद भी उसे उसका फल नहीं मिलता है, और अंत में उसे अपनी मर्यादा गवानी ही पड़ती है।
गोदान कहानी का उद्देश्य
जैसा कि सभी जानते हैं, कि इस दुनिया में कोई भी व्यक्ति बिना किसी उद्देश्य के कोई भी कार्य नहीं करता है, ठीक उसी प्रकार जब भी कोई रचनाकार किसी प्रकार की रचना करता है, तो उसमें किसी ना किसी प्रकार का उद्देश्य जरूर छिपा रहता है।
मुंशी प्रेमचंद जी ने गोदान उपन्यास में ग्रामीण जीवन की समस्याएं, ऋण की समस्या, शोषण की समस्या, अछूत समस्या, मील मजदूरों की समस्या, शहरी जीवन की समस्याएं, नारी स्वतंत्रता और अधिकारों की समस्या, नारी शिक्षा और अंतर जाति विवाह की समस्या, आदि के बारे में चित्रण देखने को मिलता है।
मुंशी प्रेमचंद जी ने इस गोदान उपन्यास की रचना इस वजह से की थी, ताकि वह एक ऐसा समाज स्थापित कर सके, जिसमें इस प्रकार की समस्याएं ना हो इस प्रकार की परिकल्पना करके मुंशी प्रेमचंद जी के द्वारा गोदान उपन्यास की रचना की गई।
गोदान का सारांश
गोदान उपन्यास के अंतर्गत गोदान के रचनाकार मुंशी प्रेमचंद्र जी ने कहानी के माध्यम से दर्शाया है, कि किस प्रकार एक किसान साहूकारों के कर्ज के चक्कर में पड़कर अपने परिवार के लिए पूरा जीवन गुजार देता है। इस उपन्यास के अंतर्गत बीसवीं सदी के रूढ़िवादी समाज को बखूबी दर्शाया गया है।
की किस तरह एक अनपढ़ ना समझ किसान का शोषण एक राजनेता से लेकर जमीदार ,मालिक, वकील सभी के द्वारा किया जाता है। किसान अपने परिवार के पेट को पालने के लिए ऋण के चंगुल में फंस जाता है जिसके बाद उसका पूरा जीवन केवल और केवल निराशा में ही गुजरता है।
इस कहानी में कही गई बातें आज भी काफी महत्वपूर्ण है, आज भी एक सारे किसान की जिंदगी ऐसे ही गुजर जाती है। किसान हमेशा निराशा में रहता है, इस कहानी के अंतर्गत साहूकारों और महाजनों पर कहानी के लेखक के द्वारा तीखे प्रहार किए गए हैं।
गोदान उपन्यास की समस्याएं
- ऋण की समस्या
अनेक सारे विद्वानों के द्वारा कहा गया है, कि गोदान उपन्यास की मूल समस्या ऋण की समस्या है, कि किस प्रकार जमीदार राय साहब भोले-भाले अनपढ़ किसान को दोनों हाथों से लूटते हैं और ऋण की समस्या के कारण उसका पूरा जीवन निराशा में गुजरता है।
ऋण की समस्या हर एक किसान के लिए अभिशाप है। गोदान उपन्यास में हीरा की दशा ऋण के कारण की पूरी बिगड़ती जाती है और एक समय आते आते उसके पास कुछ भी नहीं बचता है, वह किसान से सीधा मजदूर बन जाता है।
- शोषण समस्या
शोषण एक बहुत बड़ा रोग है, और इस रोग को इस उपन्यास में बखूबी बताया गया है, किस प्रकार निर्धन और बेबस व्यक्ति का शोषण जमीदार के द्वारा होता रहा।
किसान अपने परिवार को चलाने के लिए खेती करता है, लेकिन जैसे ही फसल आती उसके बाद जमीदार, पंडित, दरोगा जी तथा पटवारी सभी फसल को खेत से ही उठा लेते थे।
तो प्रेमचंद्र जी ने अपने उपन्यास में शोषण की समस्या को भी दर्शाया है, कि किस तरह शोषण का रोग किसान को लगता है। कहानी में एक किसान तो ठीक है लेकिन सभी किसान शोषण का शिकार हुए पड़े थे।
- अछूत समस्या
प्राचीन समय से ही धनी, निर्धन बड़ी जात छोटी जात को लेकर हमेशा छुआछूत रही है, यहां तक कि धार्मिकता में भी छुआछूत करने वालों ने कसर नहीं छोड़ी अछूत समस्या के चलते मंदिरों धर्मशाला बाग बगीचों आदि में किसी भी प्रकार का स्थान नहीं था, जहां पर छुआछूत देखने को ना मिले बल्कि यह समस्या तो कहीं ना कहीं आज भी देखने को मिलती है।
गोदान उपन्यास में दाता दिन ब्राह्मण थे, जो कि छुआछूत को बढ़ावा देते थे। अछूतों के हाथ का पानी नहीं पीना उनके साथ खाना नहीं खाते थे, आदि का चित्रण गोदान उपन्यास में मिलता है।
- अंतर्जातीय विवाह की समस्या
उस समय अंतर्जातीय विवाह करना एक अपराध माना जाता था, जो भी इस अपराध को करता था, उसके जीवन व्यापन की कई सारी सेवाएं बंद कर दी जाती थी, उन्हें समाज से बाहर कर दिया जाता था। गोदान की कहानी में अंतर्जातीय विवाह की समस्या को भी बखूबी दर्शाया है।
FAQ’S :-
Q1. गोदान उपन्यास की भाषा शैली कैसी हैं ?
Ans- गोदान उपन्यास की भाषा शैली हिंदी खड़ी भाषा है।
Q2. गोदान के लेखक कौन है ?
Ans- गोदान के लेखक मुंशी प्रेमचंद जी है।
Q3. गोदान किस युग की रचना है ?
Ans- गोदान को पहली बार 1936 में प्रकाशित किया गया था।
निष्कर्ष :-
इस लेख में हमने जाना हैं, की Godan Kiski Rachna Hai ? उम्मीद है, कि गोदान उपन्यास से जुड़ी हुई सभी जानकारियाँ आपको मिल पायी होंगी।
यदि आप इस प्रकार के कुछ अन्य विषयों पर जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो कृपया हमे कमेंट करके जरूर बताएं। जानकारी अच्छी लगी हो तो कृपया इस लेख को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।
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