Arjun ke 12 Naam :- महाऋषि वेदव्यास द्वारा रचित महाभारत काव्य के अंतर्गत पाण्डु पुत्र अर्जुन का नाम कई जगहों पर उल्लेखित है, क्या आप जानते है इस महाकाव्य में अर्जुन को 12 अलग – अलग नामों से पुकारा गया है, यदि नहीं।
तो यह लेख आपके लिए बहुत ही उपयोगी हो सकता हैं, क्योकि यहाँ हम आपको arjun ke 12 naam के बारे में बताने जा रहे है। जिसे पढ़ने के बाद आपको इन नामों के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त हो सकेगी तो आइये इस लेख को पढ़ना प्रारम्भ करते है।
Arjun ke 12 Naam – महाभारत में अर्जुन के 12 नाम कौन कौन से है ?
महाभारत में अर्जुन 12 के नाम :-
- पार्थ
- कपिध्वज
- धनंजय
- गुडाकेश
- भारत/भरतश्रेष्ट
- फाल्गुन
- पुरुषर्षभ
- कौन्तेय
- किरीटी
- परन्तप
- सव्यसाची
- महाबाहु
आइये इन प्रत्येक नामो के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करते है।
1 – पार्थ
पार्थ अर्जुन को उनके जन्म के समय उनकी माता कुंती ने बोला था। कुंती को वर दिया गया था कि वह किसी देवता को भी एक पुत्र दे सकती है, इसलिए उन्होंने सूर्य देवता को बुलाकर अर्जुन को जन्म दिया था।
अर्जुन में पार्थ कहने का एक कारण यह भी क्योकि ये अपने सभी भाइयों में सबसे वीर, पराक्रमी और बुद्धिमान थे साथ ही साथ उम्र में छोटे होने के कारण इन्हें पार्थ कहा जाता है।
2 – धनञ्जय
arjun ke 12 naam में ‘धनञ्जय’ नाम इन्हें श्री कृष्ण जी ने दिया महाभारत युद्ध के समय भगवद गीता के अध्याय २ में इसकी जानकारी दी गयी है।
भगवान कृष्ण ने अर्जुन को उनके धन और समृद्धि के लिए नहीं बल्कि अपने धर्म के पालन के लिए युद्ध करने की सलाह दी थी। भगवान कृष्ण ने अर्जुन को बताया कि उनका धर्म यहीं है कि वह अपने कर्तव्य के लिए युद्ध करें और अपने संघर्ष के द्वारा समझौते से नहीं हटें। इसलिए इन्हें धनञ्जय कहा जाता है।
3 – गुडाकेश
अर्जुन को ‘गुडाकेश’ का नाम भगवद गीता के अध्याय ११ में भगवान कृष्ण ने दिया था। arjun ke 12 naam में गुडाकेश नाम रखने की कथा में बताया जाता है कि भगवान कृष्ण ने अर्जुन को उनके संदेहों और दुःखों से मुक्त होने के लिए अपने विश्वरूप का दर्शन दिया था।
अर्जुन ने उस दर्शन के समय भयभीत होकर अपना धनुष उठाने से इनकार कर दिया था। इस पर भगवान कृष्ण ने उनसे कहा कि वे गुडाकेश हैं, अर्थात उन्हें धनुष को अपने हाथ में लेने से पहले संघर्ष करना चाहिए।
4 – कौन्तेय
अर्जुन को ‘कौन्तेय’ का नाम भगवद गीता में कई बार दिया गया है। इस नाम का अर्थ होता है ‘कुंती के पुत्र’। arjun ke 12 naam सार के सबसे उज्जवल धनुर्धारी अर्जुन हैं, जो अद्भुत क्षमताओं से सम्पन्न हैं। उन्होंने अर्जुन को ‘किरीटी’ नाम से सम्बोधित किया था जो उनकी विशेष वीरता और दिव्य शक्तियों को दर्शाता है।
6 – कपिध्वज
अर्जुन को ‘कपिध्वज’ नाम का उपदेश महाभारत के युद्ध के दौरान भगवान कृष्ण ने दिया था। इस नाम का अर्थ होता है ‘वानर सेना का सेनापति’।
महाभारत के युद्ध के दौरान, अर्जुन ने भगवद गीता में अपनी असमर्थता और असंख्य संदेहों का वर्णन किया था। उन्हें युद्ध के दौरान दोनों पक्षों के लोगों को मारने से संबंधित विवेक की समस्या थी।
इस पर भगवान कृष्ण ने उन्हें युद्ध में धर्म की उपेक्षा नहीं करने का उपदेश दिया। arjun ke 12 naam में कपिध्वज नाम का इस्तेमाल महाभारत में उल्लेखित है।
7 – परन्तप
अर्जुन को ‘परंतप’ नाम का उपदेश महाभारत में भगवान कृष्ण ने दिया था। इस नाम का अर्थ होता है ‘विरोध को नष्ट करने वाला’।
महाभारत के युद्ध के दौरान अर्जुन अपने मेघनाद वध के बाद विवेकहीन हो गए थे। उन्होंने अपनी परिवर्तित स्थिति बताते हुए भगवान कृष्ण को यह समझाया कि वे अब युद्ध के लिए असमर्थ हो गए हैं। इस पर भगवान कृष्ण ने अर्जुन को विवेक दिलाने के लिए उन्हें ‘परंतप’ के नाम से सम्बोधित किया।
8 – भरतश्रेष्ट
अर्जुन को ‘भरतश्रेष्ठ’ नाम का उपदेश महाभारत में भगवान कृष्ण ने दिया था। arjun ke 12 naam में इस नाम का प्रयोग उनकी श्रेष्ठ धनुर्धर’ विद्या के कारण कहा गया।
महाभारत में अर्जुन ने भगवान कृष्ण के साथ द्वापर युग के युद्ध में भाग लिया था। युद्ध के दौरान अर्जुन ने अपनी शक्तियों का परीक्षण किया था और उन्होंने महाभारत के विविध पहलुओं पर विचार किया था।
इस बीच, भगवान कृष्ण ने अर्जुन को ‘भरतश्रेष्ठ’ के नाम से सम्बोधित किया।
9 – फाल्गुन
अर्जुन को फाल्गुन नाम संज्ञक है जो कि महाभारत के किरदारों में से एक है। भगवद गीता में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को फाल्गुन कहा है। arjun ke 12 naam फाल्गुन नाम अर्जुन के विशिष्ट धनुर्विद्या के लिए प्रयोग किया जाता है।
महाभारत युद्ध के पहले दिन, अर्जुन ने अपने सारथी कृष्ण से कहा कि उन्हें युद्ध करने में असमर्थ महसूस हो रहा है। भगवान कृष्ण ने फिर अर्जुन को उपदेश देने के लिए भगवद गीता का उपदेश दिया। इस दौरान भगवान कृष्ण ने अर्जुन को कई बार फाल्गुन नाम से संबोधित किया।
10 – पुरुषर्षभ
अर्जुन को पुरुषर्षभ कहा जाता है, जो महाभारत के एक महान योद्धा थे। पुरुषर्षभ शब्द का अर्थ होता है “मनुष्यों में सर्वोत्तम”।
महाभारत के युद्ध में अर्जुन ने अपनी सामर्थ्य और योग्यता के कारण अपने साथियों और शत्रुओं का सम्मान हासिल किया था। arjun ke 12 naam में अर्जुन को पुरुषर्षभ कहने का कारण उनकी उत्कृष्ट योग्यता थी जो उन्होंने युद्ध के दौरान दिखाई थी।
पुरुषर्षभ कहने वाले कई लोग थे, लेकिन महाभारत में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को पुरुषर्षभ कहा था। यह भगवान कृष्ण के भगवद गीता में दिए गए उपदेश के दौरान था जब उन्होंने अर्जुन को उत्साहित करने के लिए उनकी महत्त्वपूर्ण योग्यताओं का वर्णन किया था।
11 – सव्यसाची
अर्जुन को सव्यसाची नाम संज्ञक है जो कि महाभारत के योद्धाओं में से एक थे। सव्यसाची शब्द का अर्थ होता है “दोनों हाथों से कुशल”। इसका अर्थ है कि अर्जुन दोनों हाथों से बराबर युद्ध करते थे।
महाभारत में, भगवान कृष्ण ने arjun ke 12 naam पुकारे जिसमें सव्यसाची भी प्रमुख है। यह नाम उन्हें तब दिया गया जब वे महाभारत के युद्ध में अपनी रथ का नियंत्रण कर रहे थे।
भगवान कृष्ण ने उन्हें देखा, कि वे दोनों हाथों से बराबर युद्ध कर रहे हैं और उनके साथ युद्ध करने वाले दूसरे योद्धाओं से अलग थे। इसके बाद भगवान कृष्ण ने अर्जुन को सव्यसाची कहा।
12 – महाबाहु
महाभारत में, भगवान कृष्ण ने भी अर्जुन को महाबाहु कहा था। यह उनके योग्यताओं और उनके युद्ध करने के तरीके के कारण था। अर्जुन एक बहुत ही विशिष्ट योद्धा थे, जो अपने बड़े बाहु और अद्भुत युद्ध कला के कारण मशहूर थे। इसके अलावा, अर्जुन एक बहुत ही धैर्यवान और संयमित व्यक्ति थे, जो युद्ध करने के दौरान भी शांत रहते थे।
FAQ’S :-
प्रश्न 1 – Arjun ke 12 naam कौन कौन से है ?
उत्तर - पार्थ, कपिध्वज,धनंजय, गुडाकेश,भारत/भरतश्रेष्ट, फाल्गुन, पुरुषर्षभ, कौन्तेय, किरीटी, परन्तप, सव्यसाची और महाबाहु।
प्रश्न 2 – श्री कृष्ण जी ने सबसे अधिक अर्जुन को किस नाम से पुकारा ?
उत्तर - श्री कृष्ण जी में अर्जुन को पार्थ नाम से सबसे अधिक बार पुकारा।
प्रश्न 3 – अर्जुन का कौन्तेय नाम किस लिए रखा गया ?
उत्तर - यह नाम अर्जुन की माता कुंती के नाम पर रखा गया।
प्रश्न 4 – अर्जुन को सव्यसाची क्यों कहा गया ?
उत्तर - भगवान कृष्ण ने उन्हें देखा कि अर्जुन दोनों हाथों से बराबर युद्ध कर रहे हैं और उनके साथ युद्ध करने वाले दूसरे योद्धाओं से अलग थे। इसके बाद भगवान कृष्ण ने अर्जुन को सव्यसाची कहा।
प्रश्न 5 – अर्जुन को महाबाहु किसने कहा ?
उत्तर - अर्जुन एक बहुत ही विशिष्ट योद्धा थे, जो अपने बड़े बाहु और अद्भुत युद्ध कला के कारण मशहूर थे, इसलिए उन्हें महाबाहु का नाम दिया गया।
निष्कर्ष :-
इस लेख में आपको बताया गया, कि arjun ke 12 naam क्या थे। हम उम्मीद करते है, यह लेख आपके लिए बहुत ही उपयोगी साबित हुआ होगा।
आप चाहे तो इस आर्टिकल को अपने मित्रो को भेजकर उन्हें भी इस खास जानकारी से परिचित करवा सकते है। ऐसी ही रोचक जानकारियों से रूबरू होने के लिए आप इस वेबसाइट को विजिट करते रहे।
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