May 20, 2024
Ghusl karne ki dua

Ghusl karne ki dua – ग़ुस्ल करने की दुआ और उस का मतलब

Ghusl karne ki dua :- दोस्तों, अगर आप इस्लाम धर्म से संबंध रखते होंगे तो आपको अच्छे से मालूम होगा, कि इस्लाम धर्म में हर एक चीज को करने से पहले दुआ करने की आवश्यकता होती है।

वैसे ही आज इस लेख के माध्यम से हम आपको ग़ुस्ल करने की दुआ बताने वाले हैं, जिसका उपयोग आप ग़ुस्ल करने से पहले कर सकते हैं।

अगर आपको ग़ुस्ल करने की दुआ याद नहीं है और आप जानना चाहते हैं, कि आखिर ग़ुस्ल करने की दुआ क्या है और इस का मतलब क्या होता है, तो हमारे इस लेख के साथ अंत तक बने रहे तो चलिए शुरू करते हैं, इस लेख को बिना देरी किए हुए।


गुस्ल की दुआ – Gusal ki dua

दोस्तों, आपको बता दें कि गुस्ल की दुआ होती ही नहीं है। गुस्ल करने के केवल तरीके और फर्ज़ होता है जिनको जानना बहुत जरूरी है, क्योंकि गुस्ल के फर्ज़ के बिना गुस्ल मुकम्मल नहीं होता।

गुस्ल की दुआ नही होती है, इसीलिए अगर आपको कोई बताता भी है तो उसकी बातों मे ना आये और आप clarity के लिए मौलवी से सही जानकारी ले सकते हैं।


गुस्ल क्या है ? ( Gusal Kya hai )

गुस्ल अरबी भाषा का शब्द है जिसका इस्तेमाल अधिकतर इस्लाम धर्म के लोग अपने बातचीत के दौरान करते हैं। हिंदी भाषा में गुस्ल शब्द का अर्थ स्नान करना या नहाना या फिर पूरे शरीर को धोना होता है। इसे अंग्रेजी में bath कहा जाता है।

इस्लाम धर्म के अनुसार जब भी कोई व्यक्ति अपनी शुद्धता को खो देता है तो वह कोई भी पवित्र काम नहीं कर सकता। उसे कोई भी पाक कार्य करने से पहले गुस्ल करना जरूरी होता है। गुस्ल करने से व्यक्ति शुद्ध हो जाता है।


गुस्ल करने का तरीका

  1. नियत करना

इस्लामिक तरीके से गुस्ल करने का पहला तरीका नियत करना है। जिसके अनुसार बदन को साफ करने के लिए गुस्ल नहीं कर रहे है बल्कि निजासत  से पाक के लिए गुस्ल कर रहे है। बिस्मिल्ला हिर्रहमा निर्रहीम कहते हुए गुस्ल करें।

  1. हाथ गटट्टो तक धोना

नियत करने के बाद अपने दोनों हाथों को तीन बार अच्छे से गट्टो तक धो ले और फिर मुंह में पानी भर कर कुल्ला कर ले।

  1. इस्तंजे की जगह धोना

इस्तंजे की जगह को अच्छी तरह से धोए चाहे निजासत लगी हो या नहीं।

  1. बदन पर लगी निजासत धोना

इसके बाद शरीर पर जहां कहीं भी गंदगी या मैल हो उसे अच्छे से साफ करें और पानी डालकर धो ले।

  1. वजू करना

जिस प्रकार से नमाज पढ़ने से पहले वजू करते हैं उसी प्रकार से वजू करें।

  1. पूरे बदन पर पानी मलना

अब अपने पूरे शरीर पर पानी से मालिश करें। जिस प्रकार से तेल मालिश की जाती है ठीक उसी प्रकार से अपने शरीर पर पानी से मालिश करें। इस क्रिया को सर्दियों के मौसम में जरूर अपनाएं।

  1. दाहिने कंधे पर पानी बहाना

ऊपर बताए गए सभी तरीकों को करने के बाद अपने दाएं कंधे पर किसी साफ बर्तन को लेकर पानी डालें।

  1. बाएं कंधे पर पानी बहाना

दाएं कंधे पर पानी बहाने के बाद साफ करते हुए अपने बाएं कंधे पर भी पानी डालें।

  1. पूरे बदन पर पानी बहाना

जब आप दोनों कंधों पर पानी डाल ले तो उसके बाद अपने पूरे बदन के ऊपर 3 बार पानी बहाये अर्थात डालें।

  1. पैर धोना 

अगर आपने वजू करते समय अपने पैरों को नहीं धोया था तो अब आप अपने स्थान पर हल्का पीछे हटकर दोनों पैरों को अवश्य धो लें।

  1. पूरे शरीर पर हाथ फेरना

ऊपर बताए गए सभी तरीके करने के बाद आखिर में आप अपने शरीर पर अच्छे से साबुन लगा कर पूरे शरीर पर हाथ फेरे और पानी डाले।


गुस्ल के मुस्ताहिबा

गुस्ल के मुस्ताहिबात निम्न है :-

  • जीभ से नियत करना
  • नहाते समय किबले की तरफ मुह ना करना जब तक कि आप अपने बदन पर कपड़े ना पहन ले।
  • किसी ऐसे स्थान पर गुस्ल करना जंहा पर किसी की नजर न पड़े।
  • पुरुष जब किसी खुली जगह पर नहाए तो नाफ से लेकर अपने घुटनों तक का बदन पूरी तरह से ढक ले या फिर उस स्थान पर कोई कपड़ा बांधकर गुस्ल करें।
  • किसी भी औरत का खुली जगह पर गुसल करना सही नहीं है।
  • गुस्ल करते समय किसी भी प्रकार की दुआ ना पड़े या कोई भी बात ना करें।
  • स्नान करने के बाद किसी साफ तौलिये से अपने पूरे बदन को साफ करे।
  • पूरे शरीर पर तरतीब से पानी डालें।

गुसल करने के फर्ज

गुस्ल करने के तीन फर्ज होते है। यदि इनमें से कोई भी एक छूट जाता है तो आपके द्वारा किया गया स्नान मुकम्मल नहीं होता। यह तीन फर्ज इस प्रकार से है:-

  1. कुल्ली करना

जब भी आप स्नान करने के लिए जाते हैं तो आपको गरारे करते हुए कुल्ली करना है। ध्यान रहे कि यदि रोजे हैं तो आपको केवल कुल्ली करना है गरारे नहीं करने है।

  1. नाक में पानी डालना

दूसरे फर्ज के अनुसार आपको अपनी नाक की नर्म हड्डी तक पानी पहुंचाना होता है।

  1. पूरे जिस्म पर पानी बहाना

तीसरे फर्ज के अनुसार आपको अपने पूरे बदन पर  पानी बहाते हुए स्नान करना है। यह इस प्रकार से किया जाना चाहिए कि शरीर की कोई भी जगह सुखी ना बचे।


गुस्ल कब जरूरी होता है ?

  • जब औरत को मासिक धर्म हुआ हो और जब वह अपने पीरियड से फ़ारिग हो जाए तो उन्हें गुस्ल करना आवश्यक होता है, तभी वहां नमाज या कुरान पढ़ सकते हैं।
  • जब किसी औरत को बच्चा पैदा होता है तो जितने दिन तक औरत को ब्लीडिंग होती है, उतने दिनों तक वह किसी भी प्रकार का पवित्र काम नहीं कर सकती है। ब्लीडिंग से निवृत होने के बाद सही तरीके से गुसल करने के बाद ही वह पाक काम कर सकती है।
  • Nightfall होने के बाद चाहे वह किसी भी कारण से हुआ हो गुस्ल करना अति आवश्यक होता है। बिना गुस्ल किये कुरान या नमाज नही पढ़ सकते।
  • sex करने के बाद भी गुस्ल करना अति आवश्यक होता है। बिना गुस्ल किये कुरान या नमाज नही पढ़ सकते और गुस्ल केवल उपर बताये गए तरीको के द्वारा ही किया जाना चाहिए तभी गुस्ल मुकम्मल माना जाता है।

[ Conclusion, निष्कर्ष ]

दोस्तों हम आशा करते हैं, कि आप हमारे इस लेख को ध्यान से पूरे अंत तक पढ़ चुके होंगे। और इस लेख को पढ़ने के बाद आपको यह पता चल गया होगा कि आखिर ग़ुस्ल करने की दुआ कौन सा होता है और उस दुवा का मतलब क्या होता है।

अगर आपके मन में ग़ुस्ल करने की दुआ से संबंधित कोई भी सवाल है, तो आप नीचे में दिए गए कमेंट बॉक्स में मैसेज कर के पूछ सकते हैं, हमारी समूह आप के सवालों का जवाब अवश्य देगी।


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