Sanatan dharm kitna purana hai :- दोस्तों, आपने सनातन धर्म का नाम तो अवश्य सुना होगा और हो सकता है, कि आप सनातन धर्म से संबंध भी रखते होंगे।
मगर क्या आपको अंदाजा है, कि आखिर सनातन धर्म वास्तव में कितना पुराना है और इसका वजूद वजूद क्या है और पौराणिक कालो में सनातन धर्म का इतिहास क्या रहा है और इसकी उत्पत्ति कैसे हुई है।
अगर आप सनातन धर्म के बारे में कुछ भी नहीं जानते हैं और जानना चाहते हैं, तो हमारे इस लेख को ध्यान से पूरे अंत तक पढ़े। क्योंकि इस लेख में हमने सनातन धर्म से जुड़ी हर एक जानकारी को स्टेप बाय स्टेप करके लिखा है और बताया है, तो चलिए शुरू करते हैं।
सनातन धर्म कितना पुराना है ? – Sanatan dharm kitna purana hai
पौराणिक ग्रंथो के हिसाब से सनातन धर्म को लगभग 12000 से 15000 साल पुराना माना जाता है। सनातन धर्म को वेदांत धर्म या हिंदू धर्म के नाम से भी जाना जाता है। यह एक प्राचीन धर्म है जिसका पालन भारत के अधिकांश लोगों के द्वारा किया जाता है।
सनातन धर्म क्या है ?
सनातन धर्म हिंदू धर्म का ही एक नाम है, जो भारतीय उपमहाद्वीप में प्रचलित है। इसे हिंदू धर्म के अलावा संस्कृत, धर्म, वैदिक धर्म या सनातन धर्म के नाम से जाना जाता है। सनातन धर्म का मुख्य उद्देश्य मनुष्य के जीवन के विभिन्न पहलुओं से संबंध रखता है, जैसे पाप, पुण्य, धर्म-कर्म, आत्मा, मोक्ष इत्यादि।
इनकी सनातन धर्म में चर्चा होती है। सनातन धर्म में पुराणों, उपनिषदों, वेद आदि जैसे शास्त्रो का एक अभिन्न स्थान होता है। इसके पुजारी मानते हैं कि शास्त्रों के माध्यम से ही जीवन के समस्त महत्वपूर्ण बातों व पहलुओं को समझा जा सकता है।
सनातन धर्म में मंत्र जाप, प्रति पूजा, योग, व्रत, ध्यान इत्यादि जैसी बातों का उल्लेख किया है और उनके महत्व के बारे में बताया है।
सनातन धर्म का अर्थ क्या है ?
सनातन धर्म यह शब्द संस्कृत से लिया गया है। सनातन का अर्थ ” शाश्वत यानी जो हमेशा से है और हमेशा रहेगा” होता है और धर्म का अर्थ “धरण यानी जो संभव है उसे अपने ऊपर लेना या अपने अनुसार व्यवहार करना” होता है।
इस प्रकार से सनातन धर्म का अर्थ होता है, कि एक ऐसा धर्म जो हमेशा से है और हमेशा रहेगा तथा लोगों को सही दिशा में ले जाकर जीवन में आनंद और सफलता प्रदान करता है।
सरल शब्दों में कहें तो, यह एक ऐसी शास्त्रीय परंपरा है जिससे धर्म ग्रंथों, वेदों, शास्त्रों आदि के माध्यम से जीवन में शुद्धता, सदगुण, अध्यात्मिकता, धार्मिकता और सफलता प्राप्त करने का मार्ग बताया जाता है।
सनातन धर्म की उत्पत्ति कब हुई ?
सनातन धर्म का विकास और उत्पत्ति बहुत ही प्राचीन काल से होती आई हैं। सनातन धर्म की शुरुआत बहुत सारे विभिन्न अवस्थाओं और तत्वों के संगम से हुई है। इसके बनने में वेदों का महत्वपूर्ण योगदान है। इसके बाद स्नातन धर्म में बहुत सारे तंत्र, उपनिषद, पुराण, संस्कृतिक और दर्शन आदि जुड़े है।
इसीलिए सनातन धर्म को विश्व का सबसे पुराना धर्म माना जाता है। यह धर्म लगभग 12000 से लेकर 15000 वर्ष पुराना है। सनातन धर्म में पुराण, महाभारत, उपनिषद और वेद जैसी धार्मिक ग्रंथों के अनुसार सनातन धर्म की उत्पत्ति काफी पुरानी है।
सनातन धर्म के नियम
सनातन धर्म के कई सारे नियम है, जो कुछ इस प्रकार है :-
- धर्म
सनातन धर्म में धर्म एक प्रमुख नियम है जो समाज को शांति और एकता की दिशा में लेकर जाता है। यह नियम समाज के व्यक्ति को अपने कर्तव्यों का पालन करने के प्रति प्रोत्साहित करता है।
- अहिंसा
अहिंसा का पालन करना सनातन धर्म का एक अन्य महत्वपूर्ण नियम है। इसके अनुसार सभी जीवो का सम्मान किया जाना चाहिए और किसी भी जीव को कष्ट नहीं पहुंचाना चाहिए।
- कर्म
सनातन धर्म में कर्म का बहुत महत्व है। अपने कर्मों के आधार पर ही एक व्यक्ति को उसके भविष्य मे फल मिलता है।
- पूजा
सनातन धर्म में देवी देवताओं की पूजा करना एक महत्वपूर्ण नियम होता है। इसके अनुसार अपने आराध्य देवी-देवताओं की पूजा भक्ति भावना के साथ की जानी चाहिए।
- योग और ध्यान
सनातन धर्म में ध्यान और योग का एक अहम स्थान बताया गया है। यह एकाग्रता पाने के लिए और सिद्धि पाने के लिए किया जाना चाहिए।
सनातन धर्म का इतिहास
पौराणिक मान्यता के अनुसार सनातन धर्म भगवान श्री राम के जन्म 5114 ईसा पूर्व का और श्री कृष्ण के जन्म 3112 ईसा पूर्व पहले का बताया जाता है, हिंदू धर्म को लगभग 90000 साल पुराना बताया जाता है
इतिहासकारों के दृष्टिकोण के अनुसार सिंधु घाटी सभ्यता के अंत के दौरान मध्य एशिया से एक जाति का आगमन हुआ जो खुद को आर्य कहते थे और संस्कृत नाम की भाषा बोलते थे। उनका मूल स्थान भारत था।
प्राचीन समय में भारतीय सनातन धर्म में शैवदेव, कोटि वैष्णव, सौर, शाक्त और गाणपत्य नाम के 5 संप्रदाय होते थे। जिसमें गणपति गणेश जी की, वैष्णव विष्णु जी की, शैवदेव शिव की, सौर सूर्य की और शाक्त शक्ति की पूजा आराधना किया करते थे।
यह उल्लेख न केवल ऋग्वेद में पाया जाता है बल्कि महाभारत और रामायण में भी इसको स्पष्ट रूप से कहा गया है और एकता को बनाए रखने के लिए धर्मगुरुओं ने यह शिक्षा देना शुरू कर दिया कि सभी देवी देवता एक समान है।
इन्हीं शिक्षा के कारण संप्रदायों का मेल हुआ और सनातन धर्म की उत्पत्ति हुई। इसीलिए सनातन धर्म के सारे वेद ग्रंथ इत्यादि संस्कृत भाषा में लिखे गए हैं।
सनातन धर्म और हिंदू धर्म में अंतर
हिंदू धर्म और सनातन धर्म वैसे तो एक ही है, लेकिन हिंदू धर्म और सनातन धर्म में एक मुख्य अंतर यह है कि सनातन धर्म को सभी धर्मों का मूल माना जाता है, जबकि हिंदू धर्म संस्कृति और श्रद्धा का एक समूह है जो भारतीय सभ्यता से जुड़ा हुआ है।
हिंदू धर्म केवल भारत में माना जाता है, जबकि सनातन धर्म को पूरे विश्व में माना जाता है। हिंदू धर्म को भारत के समुदाय और जातियों से जोड़ा जाता है जबकि सनातन धर्म को समुदाय या जाति आदि से नहीं जोड़ा जाता है। हिंदू धर्म केवल ग्रंथों को दर्शाता है जबकि सनातन धर्म धर्मशास्त्र को दर्शाता है।
FAQ,S:-
Q1. सनातन हिन्दू धर्म कितना वर्ष पुराना है ? – Sanatan dharm kitna purana hai
Ans. पौराणिक किताबो और ग्रंथो के हिसाब से सनातन हिन्दू धर्म लगभग 15000 वर्ष पुराना है।
Q2. सनातन धर्म की शुरुआत कब हुई ?
Ans. इस सवाल का कोई कंठस्ट जवाब नही है, वेदों और पुराणों में ऐसा माना जाता है, कि 15000 वर्ष पहले शुरुआत हुई थी।
Q3. भारत में सबसे पुराना धर्म कौन है ?
Ans. भारत का सबसे पुराना धर्म हिन्दू धर्म को माना जाता है।
Q4. भारत में मुसलमान कब आए थे ?
Ans. भारत में मुसलमानो का आगमन 7वी शतब्दी में हुआ था।
[ निष्कर्ष ]
दोस्तो हम आशा करते हैं, कि आप हमारे इस लेख को ध्यान से पूरे अंत तक पढ़ चुके होंगे। और इस लेख के माध्यम से आप जान चुके होंगे, कि सनातन धर्म कितना पुराना है और सनातन धर्म की उत्पत्ति कैसे हुई थी और सनातन धर्म भारत में कब आया था।
अगर अभी भी आपके मन में सनातन धर्म से जुड़ा कोई भी सवाल है, तो आप नीचे में दिए गए कमेंट बॉक्स में मैसेज करके पूछ सकते हैं, हमारी समूह आपके सवालों का जवाब अवश्य देगी।
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