May 13, 2024
Ram charit manas ke rachyita

रामचरितमानस किसने लिखा ? – Ram charit manas ke rachyita kaun hai

Ram charit manas ke rachyita kaun hai :- रामचरितमानस भारतीय साहित्य के सबसे सम्मानित और प्रभावशाली ग्रंथ में से एक है। यह महाकाव्य भगवान राम और बुराई पर उनकी विजय की कहानी को खूबसूरती से व्यक्त करता है।

लेकिन बहुत ही कम लोग जानते हैं, कि Ram charit manas ke rachyita kaun hai ? और यह ग्रंथ किसने लिखा था ?

इसलिए आज के इस लेख में हम इसी विषय पर चर्चा करेंगे और रामचरितमानस ग्रंथ से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त करेंगे। साथ ही हम जानेंगे, कि Ram charit manas ke rachyita kaun hai ? और इस ग्रंथ का निर्माण कब किया गया था।


रामचरितमानस के रचयिता कौन हैं ? – Ram charit manas ke rachyita kaun hai

रामचरितमानस के रचयिता तुलसीदास जी हैं जो कि एक महान कवि और संत हैं। तुलसीदास जी ने यह ग्रंथ 16वीं शताब्दी में लिखा था, जिसकी भाषा अवधी थी। यानी कि रामचरितमानस की रचना हिंदी भाषा में की गई थी।

तुलसीदास जी ने इस ग्रंथ की रचना 2 वर्ष 6 माह और 26 दिन में की थी। जिस दिन यह ग्रंथ पूरा हुआ था वह दिन संवत 1633 मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष का था और इस ही दिन श्री राम जी का विवाह पूर्ण हुआ था।

गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में बालकांड में खुद यह लिखा है कि उन्होंने इस ग्रंथ की रचना का आरंभ रामनवमी के दिन 15वीं शताब्दी को अयोध्या में किया था।

इसके अलावा गीता प्रेस गोरखपुर के संपादक हनुमान प्रसाद पोद्दार, जिन्होंने रामचरितमानस ग्रंथ को छपवाया, का कहना है कि गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरितमानस को 2 वर्ष 7 माह और 26 दिन में पूरा किया था।


रामचरित मानस महाकाव्य रचना कैसे हुई ?

यह माना जाता है कि रामचरितमानस के पहले ही श्री वाल्मीकि जी ने रामायण की रचना की थी, जोकि श्री राम और माता सीता पर ही आधारित है। उसके बाद महाकवि गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामायण से प्रेरणा लेकर रामचरितमानस की रचना शुरू की। लेकिन इन दोनों ही रामायण में आपको कुछ अंतर देखने को मिलेगा।

जहां वाल्मीकि जी ने रामायण में श्री राम को एक सांसारिक व्यक्ति के रूप में दर्शाया है। वही तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में श्रीराम को विष्णु का अवतार बताया है और उनके सांसारिक जीवन में आने का उद्देश्य बताया है।

तुलसीदास जी ने रामचरितमानस को कुल 7 खंडों में विभाजित किया है जिसमें श्री राम के संपूर्ण कहानी समाहित है। महाकाव्य को चौपाई में संरक्षित किया गया है, जो छंद का ही एक रूप है जिसमें चार दुकान पंक्तियां होती हैं। प्रत्येक चौपाई एक अनूठा संदेश देती हैं और पाठकों को आध्यात्मिक शिक्षा भी प्रदान करती है।


रामचरितमानस में कितने कांड हैं ?

गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरितमानस को कुल 7 कांडों में विभाजित किया है जिसके नाम इस प्रकार हैं :-

  1. बालकांड
  2. अयोध्या कांड
  3. अरण्यकांड
  4. किष्किंधा कांड
  5. सुंदरकांड
  6. लंका कांड
  7. उत्तरकांड

अगर हम बात करें, की रामचरितमानस में सबसे बड़ा कांड कौन सा है तो रामचरितमानस में सबसे बड़ा कांड बालकांड है। वहीं इसका सबसे छोटा कांड किष्किंधा कांड है जिसमें केवल 30 दोहे हैं।


रामचरितमानस का महत्व क्या है ?

हम सभी के जीवन में रामचरितमानस का काफी बड़ा महत्व है। जिसमें साहित्यिक महत्व धार्मिक महत्व और सांस्कृतिक महत्व शामिल है।

  • साहित्यिक महत्व

तुलसीदास की रामचरितमानस की रचना का अत्यधिक साहित्यिक महत्व है। यह शास्त्री संस्कृत कविता को लेते हुए हिंदी भाषा और काव्य कौशल को प्रदर्शित करता है।

इसमें उपस्थित गीतात्मक छंद, विषद वर्णन और भावनात्मक गहराई पाठकों को काफी संतोष प्रदान करती है और इसने इस महाकाव्य की लोकप्रियता में भी काफी योगदान दिया है।

महाकवि तुलसीदास जी ने इसको एक साहित्य ग्रंथ बनाया है जिसमें उन्हें अपनी रचना को अद्वितीय भावनाओं और आध्यात्मिक ज्ञान से भरने की कोशिश की है।

  • धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

रामचरितमानस हिंदू धार्मिक और सांस्कृतिक प्रभाव में से एक केंद्रीय स्थान रखता है। यह एक पवित्र ग्रंथ है जिसे पाठ के रूप में पूजा जाता है। साथ ही यह पूरे भारत में लोगों के घरों में मंदिरों में स्थापित भी है। लोग महत्वपूर्ण अवसरों पर मंदिरों में और स्वभाव में इसका पाठक और गायन भी करते हैं।

यह महाकाव्य लोगों को प्रेरित भी करती है और मनुष्य के अंदर भक्ति और धार्मिकता पैदा करती है। साथ ही मोक्ष के मार्ग पर महाकाव्य ने कई लाखों लोगों को प्रेरित किया है। यह महाकाव्य भगवान राम के साथ गहरे संबंध को बढ़ावा देती है और देश के धार्मिक ताने-बाने को भी आकार देती है।

रामचरितमानस के माध्यम से तुलसीदास ने रामायण की कथा को जन-जन तक पहुंचाया है। इसकी रचना से पहले रामायण मुख्य रूप से केवल विद्वानों के लिए सुलभ संस्कृत ग्रंथों के माध्यम से जाना जाता था।

वही तुलसीदास जी ने स्थानीय हिंदी भाषा में इसका पुनर्निर्माण करके इस महाकाव्य को दर्शकों के लिए स्वर्ग बना दिया।


रामचरितमानस का मुख्य चौपाई कौन सा है ?

ऐसे तो रामचरितमानस में कुल मिलाकर 9388 चौपाइयां है लेकिन इसकी मुख्य चौपाई इस प्रकार है –

मंगल भवन अमंगल हारी

द्रवहु सुदसरथ अजीर बिहारी

इस चौपाई का अर्थ होता है, “मंगल को दूर करने वाले और मंगल करने वाले जो हैं वही दशरथ नंदन श्री राम है। और उनकी कृपा हमेशा मुझ पर बनी रहे”।


रामचरितमानस में कुल कितने छंद और दोहे हैं ?

रामचरितमानस में 12800 पंक्तियां हैं जिसमें कुल 1073 दोहे हैं। यह दोहे कुल 7 कांडों को मिलाकर हैं। जो कि इस प्रकार है

इसके बालकांड में 359 दोहे, अयोध्या कांड में 314 दोहे, अरण्यकांड में 51 दोहे, किष्किंधा कांड में 31 दोहे, सुंदरकांड में 62 दोहे, युद्ध कांड में 148 दोहे और उत्तरकांड में कुल 207 दोहे हैं।

इसके साथ ही इसमें कुल 9388 चौपाइयां हैं। इसके साथ ही इसमें कुल अंडों की संख्या 208 है। और इसमें हरिगीतिका, चौपाइयां, त्रिभंगी और तोमर छंदों का इस्तेमाल किया गया है।

रामचरितमानस में हरिगीतिका छंदों की संख्या 139 है। इसमें तोमर छंदों की संख्या 24 है। इसके अलावा इसमें 31 तोतक छंद है।


FAQ’S :-

Q1. श्री रामचरितमानस की रचना कब हुई ?

Ans- श्री रामचरितमानस की रचना का आरंभ 15 वी शताब्दी में सन 1574 ईस्वी में शुरू हो गया था। और यह सन 
1576 ईस्वी में मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष में पूर्ण हुआ था।

Q2. उत्तररामचरित के लेखक कौन हैं ?

Ans. उत्तररामचरित के लेखक भवभूति जी हैं।

Q3. रामायण वाल्मीकि या तुलसीदास किसने लिखा था ?

Ans- रामायण के रचयिता का नाम वाल्मिकी है। यानी की रामायण को वाल्मीकि जी ने लिखा था और तुलसीदास जी 
ने रामचरितमानस की रचना की थी।

Q4. रामचरितमानस को अंग्रेजी में किसने लिखा था ?

Ans- रामचरित्र को अंग्रेजी में लिखने वाले व्यक्ति का नाम आरटीएच ग्रिफिथ है, जिसने सन 18 सो 70 में से अंग्रेजी 
भाषा में अनुवाद किया था।

निष्कर्ष :- 

आज के इस लेख में हमने जाना कि Ram charit manas ke rachyita kaun hai ? उम्मीद है, कि इस लेख के माध्यम से आपको रामचरितमानस के रचयिता के बारे में संपूर्ण जानकारियां मिल पाई होंगी।

यदि आप इस विषय पर कुछ अन्य जानकारी पाना चाहते हो, तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं। यदि आपको यह लेख अच्छा लगा हो, तो इसे अपने अन्य दोस्तों के साथ भी जरूर साझा करें। जानकारी अच्छी लगी हो तो कृपया इस लेख को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।


Also Read :- 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *