Jain Dharm Ke Sansthapak kaun the :- पूरे विश्व में अनेक धर्म है, जिनमें से जैन धर्म एक प्रमुख धर्म है। यह धर्म एक ऐसा धर्म है जो अहिंसा, सत्य और आत्म-अनुशासन को बढ़ावा देता है और अनुयायियों को करुणा और आध्यात्मिक ज्ञान का जीवन जीना सिखाता है।
लेकिन आज भी कई लोग नहीं जानते है की Jain Dharm Ke Sansthapak kaun the? इसलिए इस लेख में इस विषय पर चर्चा करेंगे। इस लेख के माध्यम से हम जैन धर्म से जुड़ी जानकारी प्राप्त करेंगे, जिसमें आज आपको जानने को मिलेगा की Jain Dharm Ke Sansthapak kaun the.
जैन धर्म के संस्थापक कौन हैं ? – Jain Dharm Ke Sansthapak kaun the
जैन धर्म के संस्थापक ऋषभदेव थे, तथा ऋषभदेव जी ही प्रथम तीर्थकर भी थे। जैन धर्म में कुल 24 तीर्थंकर हुए हैं, जिसमें हम अगर जैन धर्म के पवित्र ग्रंथों की बात करें तो उनके अनुसार ऋषभदेव जी ही प्रथम तीर्थकर थे, तथा वहीं दूसरी तरफ अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी थे।
ऋषभदेव जी को आदिनाथ के नाम से भी जाना जाता है, लेकिन जैन धर्म के संस्थापक को लेकर इतिहासकारों में मतभेद भी है, वह भगवान महावीर जी को जैन धर्म का संस्थापक बताते हैं।
जैन धर्म क्या है ?
भारत में अनेक धर्मों में से एक धर्म जैन धर्म है, जैन शब्द जिन शब्द के द्वारा बना है, जिसमें जी का मतलब धातु जिससे अर्थ निकलता है कि जीतना जिन यानी कि जीतने वाला, जिसने अपने आप को जीत लिया हो और अपने आपको जीतने वाले को जितेंद्रीय भी कहा जाता है।
कहा जाता है, कि भले ही ऋषभदेव जी को जैन धर्म की स्थापना का श्रेय जाता हो लेकिन इस धर्म को संगठित करने तथा इस धर्म को विकसित करने का श्रेय भगवान महावीर स्वामी जी को जाता है।
महावीर स्वामी जी के द्वारा जो भी शिक्षा पहले दी गई थी, उनकी पालना आज प्रत्येक जैन धर्म का अनुयाई कर रहा है।
जैन धर्म का इतिहास
जैन धर्म के ग्रंथों को अगर माना जाए, तो जैन धर्म के ग्रंथों के अनुसार जैन धर्म को अनंत काल से माना जा रहा है। कहा जाता है, कि जब से सृष्टि की रचना हुई है, तब से जैन धर्म मौजूद है, लेकिन जनमानस में महावीर स्वामी जी के द्वारा बड़े स्तर पर यह धर्म फैलता हुआ दिखाई पड़ता है।
महावीर स्वामी जी से जुड़ी जानकारी मिलती है, कि महावीर स्वामी जी को जैन धर्म को विकसित करने तथा उसे संगठित करने का श्रेय जाता है। और जैन धर्म में कुल 24 तीर्थंकर हुए हैं।
जैन धर्म की स्थापना कब हुई थी ?
जैन धर्म बौद्ध धर्म से भी प्राचीन धर्म है। वैदिक काल में ही इस धर्म का जन्म हो चुका था। लेकिन महावीर स्वामी जी के कारण यह धर्म फैलता हुआ नजर आया था। और इस धर्म का प्रचार इन्होंने छठी शताब्दी ईसा पूर्व में किया था।
जैसा कि इस धर्म से जुड़ी हुई अनेक सारी जानकारी हमने आपको पर बता दी है जैसे कि इस धर्म की स्थापना किसने की थी। जैन धर्म क्या है आदि।
जैन धर्म के सिद्धांत क्या है ?
जैन धर्म के सिद्धांत को अगर हम जाने तो जैन धर्म के सिद्धांत कुछ इस तरह है :-
- अहिंसा
- सत्य
- अश्तेय
- त्याग
- ब्रह्मचर्य
अहिंसा प्रथम सिद्धांत के अंदर वह किसी भी जीव को किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं देते हैं, और ना ही किसी जीव को घायल करते हैं, जैनी लोग हमेशा पानी को छानकर पीते हैं, क्योंकि वह किसी भी प्रकार की जीव हत्या नहीं करना चाहते हैं, और ना ही उन्हें कोई कष्ट पहुंचाना चाहते हैं।
यहां तक की जैनी व्यक्ति वायु तथा पेड़ पौधों को भी जीव मानते हैं इसके चलते वह मुंह पर पट्टी बांधकर रखते हैं तथा नंगे पैर चलते हैं। सत्य बोलना इनका दूसरा सिद्धांत है तथा यह सत्यता को महत्व देते हैं, तथा वही इनका तीसरा सिद्धांत अश्तेय है जिसका मतलब होता है कि चोरी नहीं करना है।
यानी कि इस सिद्धांत को मानकर यह किसी प्रकार की चोरी नहीं करते है। त्याग इनका चौथा सिद्धांत है, जिसके अंतर्गत यह अपनी संपत्ति के मालिक नहीं होते हैं। वही ब्रम्हचर्य इनका पांचवा सिद्धांत होता है, इस सिद्धांत में यह सदाचारी जीवन जीते हैं।
जैन धर्म के पांच महाव्रत कौन–कौन से हैं ?
- सत्य
- अहिंसा
- अश्तेय
- ब्रह्मचर्य
- अपरिग्रह
भगवान महावीर स्वामी जी के द्वारा जो व्रत जैन अनुयायियों को दिए गए हैं, वह व्रत आपने ऊपर जान लिए हैं।
जैन धर्म के 24 तीर्थंकर कौन है ?
जैन धर्म के प्रथम तीर्थकर ऋषभदेव है, तथा अंतिम यानी की 24 वे तीर्थंकर महावीर स्वामी जी है, बाकी सभी तीर्थकरो को नीचे टेबल के माध्यम से बताया गया है, टेबल के द्वारा आप इन 24 तीर्थंकरों के नाम को जान जाएंगे:-
(1) ऋषभदेव | (9) पुष्पदंत | (17) कुंथुनाथजी |
(2) अजीतनाथजी | (10) शीतलनाथ | (18) अरहनाथजी |
(3) संभवनाथजी | (11) श्रेयांसनाथजी | (19) मल्लिनाथ |
(4) अभिनंदनजी | (12) वासुपूज्य | (20) मुनिसुव्रतनाथ |
(5) सुमतिनाथजी | (13) विमलनाथ | (21) नमिनाथ |
(6) पद्ममप्रभुजी | (14) अनंतनाथजी | (22) नेमिनाथ |
(7) सुपार्श्वनाथ | (15) धर्मनाथ | (23) पार्श्वनाथ |
(8) चन्द्रप्रभु | (16) शांतिनाथ | (24) महावीर |
जैन धर्म के त्रिरत्न क्या है ?
जैन धर्म के द्वारा मोक्ष प्राप्ति के लिए तीन साधनाएं बताई गई है,इन्हें जैन धर्म के त्रिरत्न कहा जाता है,जो कुछ इस प्रकार है:-
- सम्यक ज्ञान
- सम्यक दर्शन
- सम्यक चरित्र
जैन धर्म में ईश्वर की अवधारणा
- जैन धर्म का मानना है, कि ब्रह्मांड में ना तो कुछ नष्ट किया जा सकता है, और ना ही कुछ निर्मित किया जा सकता है।
- जितने भी पदार्थ मौजूद है, वह केवल और केवल अपने रूप को बदलते हैं या अपने आप में संशोधित होते हैं।
- जैन धर्म के अनुसार ब्रह्मांड तथा उसकी सभी संस्थाएं शाश्वत है। तथा वही समय के संबंध में इनका मानना है, कि ना तो कोई अंत है, और ना ही कोई आदि है। और ब्रह्मांड में जो भी होता है वह ब्रह्मांडीय नियमों के द्वारा होता है।
- ब्रह्मांड में चल रहे मामलों को चलाने के लिए या फिर किसी भी प्रकार का प्रतिबंध लगाने के लिए किसी की भी जरूरत नहीं होती है।
- प्रत्येक जीव ईश्वर बन सकता है, क्योंकि प्रत्येक जीव में इतनी क्षमता है।
- जब भी कोई इंसान अपने संपूर्ण कर्मों को समाप्त करने में सफल हो जाता है तो ऐसी स्थिति में वह एक मुफ्त आत्मा होता है। और मोक्ष को प्राप्त करने के लिए पूर्ण रूप से आनंद में रहता है।
- जैन धर्म ईश्वर को एक पूर्ण प्राणी रूप में मानता है।
- जैन धर्म का देवता एक ऐसा जीव होता है, जिसके पास मुक्त आत्मा के साथ अनंत दृष्टि, अनंत ज्ञान, अनंत आनंद, तथा अनंत शक्ति होती हैं।
दिगम्बर और श्वेतांबर कौन थे ?
मगध में 300 ईसा पूर्व 12 वर्षों का अकाल पड़ा जिसकी वजह से भद्रबाहु तथा उनके शिष्य कर्नाटक चले आए तथा वहीं दूसरी तरफ कुछ ऐसे अनुयाई भी थे, जोकि मगज में ही रुके थे, वह स्थूलभद्र के साथ है।
अब जब कुछ समय पश्चात भद्रबाहु फिर से मगध आए, तो मगध में रहने वाले जो साधु थे, उनके साथ उनका कुछ विवाद हो गया, जिसके चलते दिगम्बर एवं श्वेतांबर दो संप्रदाय बन गए, तथा इन्होंने अपने-अपने अलग-अलग कुछ नियम बना लिए जैसे, कि श्वेतांबर यानी कि श्वेत कपड़ों को धारण करने वाले तथा वहीं दूसरी तरफ दिगम्बर जो की नग्न रहने वाले।
FAQ’S :-
Q.1 जैन धर्म के संस्थापक कौन हैं ?
Ans - ऋषभदेव।
Q.2 जैन धर्म का पवित्र ग्रंथ कौनसा हैं ?
Ans - आगम।
Q.3 24 वे तीर्थंकर कौन है ?
Ans - महावीर स्वामी जी।
Q.4 जैन धर्म के 2 पंथ के नाम क्या है ?
Ans - दिगम्बर और श्वेतांबर।
Q.5 जैन धर्म की स्थापना कहा हुई थी ?
Ans - भारत में
निष्कर्ष :-
आज के इस लेख में हमने जाना की Jain Dharm Ke Sansthapak kaun the? उम्मीद है की इस लेख में माध्यम से आपको जैन धर्म के सस्थापक, स्थापना, इतिहास से संबन्धित सभी जानकारियाँ मिल पायी होंगी।
यदि आप इस प्रकार के कुछ विषयों पर जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो कृपया हमे कमेंट करके जरूर बताएं।
Also Read :-
- legends never die meaning in hindi
- Intermediate class meaning in hindi
- Accept the situation and move on with a smile meaning Hindi
- Die with memories not dreams meaning in hindi
- क्या तुम मुझ से प्यार करते हो का English translation
- Born to express not to impress meaning in hindi
- In which class do you read meaning in hindi
- My Life Line In Hindi
- Whether Seeking Age Relaxation Meaning In Hindi
- Cousin brother meaning in hindi
- 1437 ka matlab kya hota hai
- I hate my life meaning in hindi
- Allah bless you meaning in hindi
- 14344 ka matlab kya hota hai
- Thank you ka reply kya de
- Nice to meet you meaning in hindi
- Women का मतलब क्या होता है ?
- बिहार का सबसे दबंग जिला कौन है?
- blueberry ko hindi mein kya kahate hain