Ram Ke Guru Kaun The :- हम सभी रामचरितमानस ग्रन्थ से परिचत है। यह ग्रन्थ मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम चंद्र जी के जीवन पर आधारित है जिसके अंतर्गत भगवान राम जी के बाल्य काल से लेकर उनके राजा बनने तक की प्रत्येक कार्यों का वर्णन है।
इसी ग्रन्थ में भगवान राम के गुरु का भी वर्णन किया गया है। हम में से कई ऐसे लोग है, जो उनके गुरु के बारे में नहीं जानते है, आज यह लेख उन सभी के लिए बहुत ही उपयोगी साबित होगा। तो आइये इस लेख के माध्यम से यह जानने का प्रयास करते है कि श्री ram ke guru kaun the .
भगवान राम के गुरु कौन थे ? – Ram Ke Guru Kaun The
श्री राम जी के कुल गुरु का नाम ऋषि वशिष्ठ और गुरु विश्वामित्र था । विश्वामित्र ऋषि एक प्रसिद्ध ऋषि थे जिन्होंने बहुत से वेद, मंत्र और ज्योतिष ग्रंथों का अध्ययन किया था।
वे राजा दशरथ के कुल गुरु थे और उन्होंने राम और लक्ष्मण को धनुष विद्या और ब्रह्मास्त्र का ज्ञान दिया था।
ऋषि विश्वामित्र के उपदेशों और मार्गदर्शन के कारण ही राम जी ने सीता स्वयंवर में धनुष तोड़ा था, जिससे उन्होंने सीता माता से विवाह किया था। इसके अलावा गुरु वसिष्ठ भी भगवान के गुरु कहलाये जाते है। क्योकि भगवान राम ने कई वेदों और मंत्रो की शिक्षा इन्ही से प्राप्त की थी।
मित्रों अब तक आपने श्री ram ke guru kaun the इस जानकारी को हासिल की अब आइये जानते है कि ऋषि विश्वामित्र का जन्म कब हुआ था।
गुरु विश्वामित्र का जन्म कब और कहां हुआ ?
गुरु विश्वामित्र का जन्म त्रेतायुग के आरंभिक दौर में हुआ था। उनका जन्म गंगानदी के किनारे उत्तर प्रदेश में स्थित गण्डहर्वन गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम गद्गीच था और माता का नाम सत्यवती था।
विश्वामित्र ऋषि का जन्म ब्राह्मण वर्ण में हुआ था और उनके पिता गद्गीच राजा थे। उनकी माता सत्यवती गंगा नदी के तट पर रहती थीं और वे उस समय गद्गीच राजा से विवाह के लिए प्रार्थना कर रही थीं। इस प्रकार, विश्वामित्र ऋषि एक क्षत्रिय राजपुत्र से ब्राह्मण ऋषि बने।
जैसा की आपको इस लेख में बताया गया कि श्री ram ke guru kaun the तो अब जानेंगे, कि इन्हे तपस्वी ऋषि क्यों कहा गया था।
गुरु विश्वामित्र को तपस्वी ऋषि क्यों कहा गया ?
विश्वामित्र को तपस्वी मुनि कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने अपने जीवन के बहुत समय तपस्या में बिताया था। उन्होंने तपस्या के द्वारा दिव्य शक्तियों को प्राप्त करने का प्रयास किया था।
वे तपस्या के माध्यम से अनेक शक्तियों का प्राप्ति किया था, जैसे कि महामृत्युंजय मंत्र, गायत्री मंत्र, नवग्रह मंत्र आदि। इसी कारण उन्हें तपस्वी मुनि कहा जाता है।
उन्होंने अपनी तपस्या से देवताओं के श्रेष्ठतम ग्रह त्रिशंकु और स्वर्ग लोक की यात्रा की थी। महाऋषि विश्वामित्र ने कई राजाओ को अपने आशीर्वाद से उनके राज वैभव का आशीर्वाद प्रदान किया था।
विश्वामित्र ने किन किन ग्रंथो की रचना की ?
अब तक आपने जाना की श्री ram ke guru kaun the जिसके उत्तर में आपको गुरु विश्वामित्र के बारे में बताया गया आइये इनके द्वारा रचित धार्मिक ग्रंथों के बारे में जानेंगे
- मण्डल ब्राह्मण
- मण्डल विश्वजित् सूक्त
- गायत्री मंत्र
- वाल्मीकि रामायण के बाल कांड का अनुवाद
इन ग्रंथों के अलावा विश्वामित्र ने अनेक उपदेश और मंत्रों का उपदेश दिया जो आज भी धार्मिक अनुष्ठानो पर उपयोगी हैं।
विश्वामित्र किन देवता के अवतार माने जाते है ?
विश्वामित्र ऋषि के बारे में वेदों और पुराणों में बहुत उल्लेख किया गया है। उन्हें ब्रह्मर्षि के रूप में जाना जाता है और उनके अवतार के बारे में कहा जाता है कि वे ब्रह्मा देव के अवतार माने जाते हैं।
मित्रो अब तक आपने श्री ram ke guru kaun the यह जानकारी अच्छी तरह प्राप्त कर ली होगी लेकिन क्या आप जानते है कि गुरु विश्वामित्र के शिष्य कौन थे आइये इस जानकारी को हासिल करते है।
विश्वामित्र के शिष्यों के नाम बताइये ?
विश्वामित्र ऋषि के शिष्यों के नाम निम्नलिखित हैं:
- हरित
- जमदग्नि
- जनक
- वाल्मीकि
- सुखनास
- वितहव्य
- अश्वत्थामा
- मांडव्य
- शतानंद
- त्रिशंकु
गुरु विश्वामित्र की विशेषताएं ?
गुरु विश्वामित्र की कुछ प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं :-
- तपस्वी: विश्वामित्र एक विद्वान् और तपस्वी ऋषि थे। उन्होंने लम्बे समय तक तपस्या की थी और उनकी तपस्या से उन्हें विशेष ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
- शक्तिशाली: विश्वामित्र बहुत शक्तिशाली थे और उन्हें अनेक शक्तियों का ज्ञान था। उनकी शक्ति के कारण वे लोगों को आश्चर्यचकित कर सकते थे।
- उदार: विश्वामित्र बहुत उदार और दयालु थे। वे अपने शिष्यों को अपने ज्ञान से लाभ पहुंचाना चाहते थे और उनकी सहायता करने के लिए हमेशा तत्पर रहते थे।
- दृष्टि: विश्वामित्र बहुत दृष्टिशाली थे और वे भविष्य की घटनाओं को अग्रिम देख सकते थे।
- शिक्षक: विश्वामित्र एक बहुत अच्छे शिक्षक थे। उन्होंने अनेक शिष्यों को ज्ञान की प्राप्ति कराई थी और उन्हें सभी अनुभवों से परिचित कराया था।
हम आशा करते है आपको इस लेख को पढ़ने के बाद आपको श्री ram ke guru kaun the के बारे में अच्छी तरह जानकारी प्राप्त हो गयी होगी आइये इस लेख से जुड़े कुछ प्रश्नो के उत्तर जानेंगे जो आपको इस विषय के बारे में और अधिक जानकारी प्रदान करेंगे।
FAQ’S :-
प्रश्न 1 – गुरु विश्वामित्र का जन्म कब और कहां हुआ ?
उत्तर - गुरु विश्वामित्र का जन्म त्रेतायुग के आरंभ के करीब में माना जाता है, इनके पिता का नाम गद्गीच था और माता का नाम सत्यवती था। विश्वामित्र ऋषि का जन्म ब्राह्मण वर्ण में हुआ था और उनके पिता गद्गीच राजा थे।
प्रश्न 2 – ऋषि विश्वामित्र ने भगवान राम को क्या शिक्षायें प्रदान की ?
उत्तर - गुरु विश्वामित्र ने भगवान राम को धर्म, नैतिकता और समरसता के बारे में शिक्षाएं प्रदान की थीं। उन्होंने भगवान राम को धर्म के महत्व के बारे में समझाया था और उन्हें विवेक और नैतिकता की महत्ता समझाई थी। विश्वामित्र ने भगवान राम को शस्त्र-शस्त्राधारण, यज्ञ और तपस्या के विभिन्न विधियों का ज्ञान भी दिया था।
प्रश्न 3 – गुरु विश्वामित्र को तपस्वी ऋषि क्यों कहा गया ?
उत्तर - गुरु विश्वामित्र को तपस्वी ऋषि इसलिए कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने अपने तप के बल पर असंख्य संसारी जीवों की मुक्ति का मार्ग दिखाया था। वे अनेक वर्षों तक तपस्या करते रहे थे और अपनी अत्यधिक तपस्या और ध्यान की शक्ति से देवों के समान बलशाली बने थे। इसलिए उन्हें तपस्वी ऋषि के रूप में जाना जाता है।
प्रश्न 4 – भगवान ram ke guru kaun the ?
उत्तर - श्री राम जी के कुल गुरु का नाम ऋषि वशिष्ठ और गुरु विश्वामित्र था । विश्वामित्र ऋषि एक प्रसिद्ध ऋषि थे, जिन्होंने बहुत से वेद, मंत्र और ज्योतिष ग्रंथों का अध्ययन किया था।
प्रश्न 5 – ऋषि विश्वामित्र के सबसे प्रिय शिष्य कौन थे ?
उत्तर - मान्यता के अनुसार, ऋषि विश्वामित्र के सबसे प्रिय शिष्य थे राजा हरिश्चंद्र, जिन्होंने भगवान विष्णु की स्तुति की थी और ब्रह्म जी के सामने अपनी उपासना की थी। उन्होंने भगवान विष्णु की विभिन्न अवतारों की कथाएं और महिमा को वर्णित करते हुए, ब्रह्मा जी को इन अवतारों के बारे में शिक्षा दी थी।
निष्कर्ष :-
इस लेख के माध्यम से आपने श्री ram ke guru kaun the इस जानकारी को विस्तार से हासिल किया, जिसमें आपको भगवान राम के दो गुरुओं के जीवन से जुडी कई विशेष जानकारियों को बताया गया।
हम आशा करते है, यह लेख आपके लिए बहुत ही उपयोगी साबित हुआ होगा, यदि आप भविष्य में ऐसी ही जानकारियों से रूबरू होना चाहते है, तो इस वेबसाइट को विजिट करना ने भूले हम जल्द ही एक नई जानकारी के साथ आपके समक्ष उपस्थित होंगे।
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